• गीतिका

    बंसरी श्याम की

    गीतिका- आधार छंद – दोहा मुरली माखन चोर की,राधे लीन्ही छोर । डाह रही सौतन बनी,लिए फिरें निशि भोर ।। बिसरें नाहीं वाहि को,यशुमति तेरे लाल , हाथ कँगन क्या आरसी, देखें नैना मोर । मोहन को भरमाय के,धेनु चरावें दूर , भूल गये माखन मधुर,मेरे नंद किशोर । बंसरि कस बैरन भई,श्याम हमारे बीच , प्रीति हमारी मोल ले,छीन रही चितचोर । प्रेम नयन न झपकि रहें,ठान करें अब रार, गोपिन संग रास करत,मुरली करत विभोर । डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी

  • गीतिका

    कृष्ण जन्मोत्सव

    आधार छंद – दोहा समांत – आर (अपदांत) सुत सेवक वसुदेव के,कहते नंद कुमार । जननी न्यारी देवकी,यशुमति करें दुलार ।। धन्य धन्य हे मात द्वै,धन्य गोकुला ग्राम । कहलाये तुम नंद सुत,गोपिन के आधार ।। बड़भागी वह बंसरी, अधर धरे श्रीधाम, ठुमकि सजावे पैजनी,श्रीधर पाँव पखार ।। धेनु ,सखा,नवनीत के,बिना न सोहें नाथ शीश धरे पंँख मोर छवि,नैनन के शृंगार ।। विरहनि मीरा श्याम की,मान करे वह दासि संग सोहती राधिका, प्रेम बसे नित द्वार ।। डॉ.प्रेमलता त्रिपाठी

  • गीतिका

    याद आओ न तुम

    आधार छंद – वाचिक स्त्रग्विणी मापनी- 212 212 212 212 गालगा गालगा गालगा गालगा समान्त-आओ,पदान्त-न तुम [ गीतिका ] दूर रहकर भले याद आओ न तुम । पर मिलन की अनल यों बुझाओ न तुम । गर्व तुम पर रहे मान करती रहूँ, नैन से जल किसी के गिराओ न तुम । लेखनी हो तुम्हीं कर्म की सारथी, दर्प मन में कभी तुच्छ लाओ न तुम। धीर गंभीर लेखन प्रखर भावना, संग चलती रहो पथ दिखाओ न तुम । नित महकती रहो फूल बन कर वहाँ, रूठती वादियों मान जाओ न तुम । यान अभियान आकाश तक ज्यों बढ़ा , चूम लो हर शिखर पग बढ़ाओ न तुम । कम…

  • गीतिका

    मौन रहेंगे

    आधार छंद – रोला मात्रा विधान – 11+13= 24 समान्त-एंगे,पदान्त-मौन रहेंगे गीतिका पानी पानी मान,बहेंगे मौन रहेंगे । छलके अधजल ज्ञान,सुनेंगे मौन रहेंगे । नयन निहारे शून्य,तकेंगे मौन रहेंगे । पथराये ये नैन, गलेंगे मौन रहेंगे । —————————– विछुड़े जीवन साज,नींदिया बैरन छलती, पनघट सूना श्याम, मिलेंगे मौन रहेंगे । बढ़ा नहीं जो चीर,अस्मिता कौन बचाता, सुने न कोई मर्म, छलेंगे मौन रहेंगे । चूनर देते दाग, गिद्ध कुरंग कुविचारी , घूम रहा हैवान, हँसेंगे मौन रहेंगे । करें वार पर वार,लूटते अस्मत,घाती, झूठ खेलता दाँव,सहेंगे मौन रहेंगे । सत्य करे विश्राम,प्रेम दु:खी मन हारा। डग-मग होते पाँव, गिरेंगे मौन रहेंगे । डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी

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