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मेरे(डॉ.प्रेमलता त्रिपाठी) द्वारा रचित अमरकाव्य श्रृंखला के अंतर्गत —–
प्रथम पुस्तक “वर्णिका” स्वतंत्र रूप से मनोभावों का छंद मुक्त व्यक्तिकरण है जिसमें ईश वंदना ,प्रकृति का मनोहारी रूप विभिन्न रस श्रृंगारिक पक्षों तथा समसामयिक विषयों पर उठे मनोद्गार हैं। अंश विशेष सीता वियोग में – जगत जननी ‘सीता’ का श्री राम द्वारा जगत हिताय परित्याग प्रत्येक नारी के लिये विचारणीय बनकर रह गया महत्वपूर्ण जैसे विषय पर समाज का ध्यान केन्द्रित करने का प्रयास किया है

विकृति को संस्कृति में परिवर्तित करना चाहिए ऐसा ही हम सभी चाहते हैं।समष्टि के लिए किया गया कार्य स्वतः पूर्ण बन जाता है ।
द्वितीय — संकलन छंदबद्ध गीतिकाओं का संकलन है ।
गीतिका = एक लोकप्रिय काव्य विधा है। गीतिका हिन्दी भाषा-व्याकरण पर पल्लवित विशिष्ट काव्य विधा है,जिसमें मुख्यत: हिन्दी छंदों पर आधारित दो-दो लयात्मक पंक़्तियों के स्वतंत्र अभिव्यक्ति एवं विशेष कहन वाले पाँच या अधिक युग्म होते है्,जिसमें से प्रथम युग्म की दोनों पंक़्तियाँ तुकांत और अन्य युग्मों की पहली पंक़्ति अतुकांत तथा दूसरी पंक़्ति समतुकांत होती है।हिन्दी गीतिका भाषा और हिन्दी व्याकरण,गीतिका की भाषा हिन्दी है,जिसमें अन्य भाषाओं के प्रचलित शब्दों का स्वल्प एव् रुचिपूर्ण प्रयोग किया जा सकता है।प्रस्तुत गीतिकाएँ —छंदों पर आधारित मापनी युक्त हैं जिसमें गीतिका के व्याकरण का पूर्ण निर्वहन किया गया हैं।

कायिक, वाचिक, मानसिक प्रवृत्तियाँ हमारे द्वारा मुखरित वाक् शैली शिल्प पर निर्भर करती है । हाँ ! आज अति आवश्यक है, ऐसे सृजन की जो कदाचित सुप्त शान्त शोणित में आग लगा दे ! हृदयस्थ उद्गार मानवीय संवेदना को प्रभावित करता है । हमारे अन्तःकरण में विद्यमान सर्व गुण दोष सदैव परिस्थितियों के दास होतें हैं, यदि परिस्थिति जन्य उद्गार व्यक्त करना सजीवता है तो शान्ति धैर्य से अति आवश्यक है कटिबद्धता ऐसा मेरा मानना है !!!
अपनी रचनाओं को सुधी इष्टजनों को समर्पित करनें का संकल्प लेना; दिशा की ओर बढ़ते कदम हैं ! विद्वत वर्ग से विचार समीक्षा आशीर्वाद की सदैव आकांक्षी!

डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी
संस्कृत साहित्याचार्य,पी.एचडी.,बी.एड.
पी.जी.डिप्लोमा पत्रकारिता एवं जनसंचार
tripathi.late@rediffmail.com
जन्मतिथि – 11/07/1957
मो.नं. 9415301217, 87870099525
19/303 इन्दिरा नगर लखनऊ – 226016 ( उ.प्र. )

साहित्यिक संस्था में –
संस्कृत नाटिका – लेखन, मंच निर्देशन यथा – आदर्श माता ‘जीजाबाई’
अपराजिता ( द्रौपदी )पांडव का अज्ञातवास, प्रतिघाती तमिस्रा ( आतंकवाद )
उपरोक्त में प्रथम पुरस्कार द्वारा – भारती श्रीविद्या परिषद, उ,प्र ।

कविता लोक सृजन संस्थान लखनऊ उ.प्र .द्वारा प्राप्त—
1 “कवितालोक रत्न” सम्मान
2 “गीतिका गंगोत्री” सम्मान
3 सारस्वत सम्मान “काव्य भारती”
4 ‘”छंद शिल्पी” सम्मान
5 ”कवितालोक भारती” सम्मान
6 साहित्य सुधाकर सम्मान (राजस्थान)
7 सारस्वत सम्मान कवितालोक(1जुलाई 2018)
मुक्तक-लोक लखनऊ उ.प्र.
(विविध काव्य-विधाओं का सम्पूर्ण हिन्दी हिंदी पटल)
द्वारा प्राप्त——-
8 “गीतिका श्री सम्मान “
9 – छंद श्री सम्मान
10 – नारी सागर सम्मान – जे एम डी पब्लिकेशन(दिल्ली)

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