गीतिका

70वें गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई

शीर्षक  ---सफर/ यात्रा / भ्रमण 
गीतिका ---
छंद -- भुजंग प्रयात (वाचिक)
मापनी  --122 122 122 122
समांत - आता, पदांत - बहुत है  

सफर हो अकेला सताता बहुत है । 
तनिक फासले को दिखाता बहुत है। 

कहीं दूरियाँ हम मिटाने चले  जो, 
जिसे चाहता मन रुलाता  बहुत है।  

जहाँ पास बैठा बने अजनबी वह,
मिली देख नजरें चुराता बहुत है । 

न यात्रा सफल बिन सहारे कहीं भी,
मिलन हो क्षितिज सा सुहाता बहुत है। 

न मीलों थकन मीत मन का मिले जो,
रसिक  रागिनी बन  रिझाता  बहुत है ।

लगन साधना में यती बन चला जो,
भ्रमण भोग जीवन सिखाता बहुत है ।
               
झुका कर नजर मौन देता निमंत्रण,
हया प्रेम हो  मन लुभाता बहुत है  ।
                 डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी

डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी पत्नी इं0 अमर नाथ त्रिपाठी ग्राम - बभनगवां जनपद सुलतानपुर (उत्तर प्रदेश) स्व.श्री कृष्ण त्रिपाठी एडवोकेट की पुत्रबधू । पिता स्व. भास्करानंद मिश्र जन्मदिन - 11/07/1957 जन्म स्थान, जिला जौनपुर उ0प्र0 प्रकाशन - 1 “ *वर्णिका” काव्य संग्रह,* 2 “ *मौन मन के द्वार पर”* (गीतिका संग्रह) 3 “*सुधियाँ जैसे बाँह पसारे”* (गीतिका संग्रह) 4 *“प्रणव से प्रणय तक”* (छंद संग्रह ) 5 “ *कामद प्रिया” शकुन्तला* ( खण्ड काव्य) 6 *महुआ महके भोरे* (गीत संग्रह) 7 *प्रश्न अनोखे अभी शेष हैं* (गीत संग्रह) शैक्षणिक योग्यता - संस्कृत साहित्याचार्य पीएच.डी, पी.जी. डिप्लोमा पत्रकारिता एवं जनसंचार साहित्यिक उपलब्धियाँ - पुरस्कार एवं सम्मान “काव्य वीणा” सम्मान - 2022 परिवार मिलन सामाजिक जागरण केन्द्र, कोलकाता द्वारा - “सुधियाँ जैसे बाँह पसारे” कृति पर । कवितालोक रत्न सम्मान, गीतिका गंगोत्री सम्मान, सारस्वत सम्मान काव्य भारती, ‘”छंद शिल्पी” सम्मान, ”कवितालोक भारती” सम्मान, सारस्वत सम्मान कवितालोक (1जुलाई 2018), कवितालोक आदित्य (4 मार्च 2019), युग्मन गौरव सम्मान, नारी सागर सम्मान द्वारा - विश्व हिंदी रचनाकार मंच दिल्ली मुक्तक-लोक लखनऊ उ.प्र. - गीतिका श्री सम्मान, छंद श्री सम्मान, मुक्तक-लोक गीत रत्न सम्मान, गीतकुम्भ – श्रेष्ठ गीतकार (महिला संवर्ग) गीत कुंभ (परिवार), गीतकार साहित्यिक संस्थान पंजीकृत (उत्तर प्रदेश सरकार, पंजीकरण संख्या ETH/01790/2019-2020) सत्यं शिवं सुंदरम् साहित्य सृजन मेखला द्वारा - उत्कृष्ट रचना सम्मान युगधारा फाउंडेशन (पंजीकृत) द्वारा - साहित्य श्री सम्मान, समाज भूषण सम्मान स्थाई निवास- रूद्र नगर, सुलतानपुर ( उ0प्र0 )228001 वर्तमान निवास -19/303 इन्दिरा नगर लखनऊ (उ0प्र0) 226016 मोबाइल - 8787009925 , 9415301217 Email tripathi.lata@rediffmail.com

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  • Dr.PremLata Tripathi

    शीर्षक —सफर/ यात्रा / भ्रमण
    गीतिका —
    छंद — भुजंग प्रयात (वाचिक)
    मापनी –122 122 122 122
    समांत – आता, पदांत – बहुत है

    सफर हो अकेला सताता बहुत है ।
    तनिक फासले को दिखाता बहुत है।

    कहीं दूरियाँ हम मिटाने चले जो,
    जिसे चाहता मन रुलाता बहुत है।

    जहाँ पास बैठा बने अजनबी वह,
    मिली देख नजरें चुराता बहुत है ।

    न यात्रा सफल बिन सहारे कहीं भी,
    मिलन हो क्षितिज सा सुहाता बहुत है।

    न मीलों थकन मीत मन का मिले जो,
    रसिक रागिनी बन रिझाता बहुत है ।

    लगन साधना में यती बन चला जो,
    भ्रमण भोग जीवन सिखाता बहुत है ।

    झुका कर नजर मौन देता निमंत्रण,
    हया प्रेम हो मन लुभाता बहुत है ।
    डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी

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