Home
About Me
तम की शिलाएँ
पुलवामा शहीदों को समर्पित
कुछ सोचिए
कुछ सोचिए
आन के लिए
#123 (no title)
विचार सार दे चलो
भव बंधन
आह्वान
घनाक्षरी गीतिका
माँ
माँ
उम्र दे पड़ाव नहीं
माँ
चुनाव
उलझा अपना देश ——–
“कौन द्वार पर,आया”
सुरमई साँझय
रातें गयीं सुहानी
रातें गयीं सुहानी
साधना के पथ बहुत हैं
साधना के पथ बहुत हैं
अभिमान अंतस को छले
दिन के ढलने से !
मोहनी विभावरी
मोहनी विभावरी
गुन के गाहक सभी
खिली कौमुदी
अलख जगाती धूप
” बेटियों को मान दें “
“पथ प्रेम पर सतत”
अधिकार तुम्हारी बातों में
“होगा जो प्रारब्ध हमारा”
ये वक्त आन-मान
उपकार इसी तन का
“मूरत बसी प्रीतम नयन”
जीवंत सदा
जीवंत सदा
आयो ऋतुकंत सखी री
खुली जिंदगी
है मसीहा कौन ?
“फटी न जिसके पाँव बिवाई”
Dr. Prem Lata Tripathi
Powered By
Indic IME