ये वक्त आन-मान

गीतिका——-
आधार छंद -वा.तारासगालगा ,
मापनी-221 2121 1221 212
समांत- अल, अपदांत ।

करिए प्रयास सत्य सधे नित्य आत्मबल ।
ये वक्त आन मान न जाये कहीं निकल ।

हो पूर्ण धर्म कर्म गँवाये न समय को,
सब भूल राग द्वेष करें साधना सफल ।

निश्चित विकास मान चलें साथ हमकदम,
राहें खुली अनेक बढे़ं ज्ञान आजकल ।

होगा सुयोग रोग कटे वेदना विकट,
लाचारियाँ मिटे न रहे व्याधि ये अटल ।

आये न साथ जो न गये एक साथ हम,
मत प्रेम नाल तोड रुकेगा नहीं कमल ।
************ डॉ.प्रेमलता त्रिपाठी

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