“जीवन तो अनमोल है”

#गीत
साँझ-साँझ में ढल गई,शून्य सजी बारात ।
जीवन तो अनमोल है,प्रतिदिन हो सौगात ।।

भूले बिसरे वक्त की, परछांई भी मौन,
खींची रेखा हाथ पर,देख सकेगा कौन।।
भाग्य विधाता स्वयं को,समझे मन नादान,
हठधर्मी से आपदा,नित करती उत्पात ।
जीवन तो अनमोल है,प्रतिदिन हो सौगात ।।

खुशी सहज संभाव्य हो,मन से मन का मेल ।
टूटे न विश्वास कहीं, मत खेलें अठखेल ।।
रागद्वेष से पथ जहाँ, करते दीन मलीन,
नागफनी के बाड़़ को,लगा करें क्यों घात ।
जीवन तो अनमोल है,प्रतिदिन हो सौगात ।।

ऋतु बसंत है द्वार पर,कर लें हम शृंगार ।
कुसुमाकर के साथ ही, महके घर संसार ।।
विनत प्रीत मनुहार से, उपासना हो पूर्ण,
लता प्रेम नित-नित बढ़े,सुंदरतम अभिजात।
जीवन तो अनमोल है,प्रतिदिन हो सौगात ।।
——————डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी

Powered By Indic IME