• #गीत

    परम पुनीता हिन्दी अपनी

    ✍️ #गीत पुण्य पंथ परमार्थ सनातन,सदा सुसज्जित देश । हिन्दी ही मंथन चिंतन में, करिए सदा निवेश । व्यास पराशर अंगिरादि भृगु,शतानंद सत चित्र, जहँ पुलस्त्य अगस्त्य सुचित हों,नारद विश्वामित्र । ऋषि जमदग्नि आशीष से है, पूर्ण शुद्ध परिवेश, पुण्य पंथ परमार्थ सनातन,सदा सुसज्जित देश । हिन्दी का विस्तार जहाँ से,भरत भूमि है धन्य । परम पुनीता हिन्दी भाषा,मानक मिले न अन्य । पूरब से ये सोन चिरैया, लेकर उगे दिनेश, पुण्य पंथ परमार्थ सनातन,सदा सुसज्जित देश । कर्म भूमि अपनी अवतारी, धर्म धरा सम व्योम, मनु जीवन ये प्रभु की रचना,हर्षित करती लोम । सत्य शील गीर्वाण अधर से, देती है संदेश, पुण्य पंथ परमार्थ सनातन,सदा सुसज्जित देश ।…

  • #गीत

    छंद – माधव मालती

    #गीत भूल कोई हो न दाता, राह तुम मुझको दिखाना । स्वप्न देखें ये नयन जो,ध्यान रख उसको सजाना । संग रहती चाहतें जब – डूब कर माँगे किनारा । शुष्क होते लोचनों में – पीर करुणा का सहारा । क्यों करें अपना-पराया,तुम शरण अपनी बुलाना । स्वप्न देखें ये नयन जो,ध्यान रख उसको सजाना । हो न गर्वित मान पाकर, साथ दे अपना न साया । कर रही है सत्य जग को, मुग्ध तन करती #अनाया। साधना के पथ न छूटे, मंत्र साधक तुम बनाना । स्वप्न देखें ये नयन जो,ध्यान रख उसको सजाना । बाड़ काँटों की लगाकर, अंध स्वारथ हिय न भाये । कंठ तक मद में…

  • गीतिका

    “जय भारत”

    “जय भारत” —– रहे झूमता ये तिरंगा हमारा। गगन चूमता ये चमकता सितारा।। सदा मान है ये शान हमारी । दिलों में विराजे आन हमारी । आजाद भारत की ये निशानी, अमर ये रहे वतन का सहारा । रहे झूमता ये तिरंगा हमारा——- छिपी जहाँ शहीदों की शहादत । हिंद की दौलत अपनी अमानत । चंचल हवायें सदा गीत गायें, विश्व पटल पर सजे ये नजारा रहे झूमता ये तिरंगा हमारा——- लिए वीर हाथों फड़कती भुजाएँ। उमगती धड़कन गाती ऋचाएँ । अनुगूँज लेकर जयहिंद भारत, कदम से कदम ; चमन का दुलारा । रहे झूमता ये तिरंगा हमारा——- डॉ0 प्रेमलता त्रिपाठी

  • #गीत

    सत्य सनातन

    #गीत #सत्यसनातन सत्य सनातन नाम ईश का,सबके पालन हार । सनद साधना डगमग है प्रभु;हाथ गहो पतवार । हो मेरे आराध्य देव तुम, चित्तवृत्ति अविनाश । यही कल्पना युग मन्वंतर,अरि को करे निराश । भूल रहें जो वेद ऋचाएँ, वंशज हैं हम आर्य, अविनाशी को कहे सनातन,पंच तत्व में सार । सत्य सनातन नाम ईश का,सबके पालन हार । भेदभाव मतिसुप्त करें जो,क्षुद्र हृदय भयभीत। धीर धरे साधक मन मंदिर,सुखकर ये संगीत । रही सदी से मुखर चेतना, बढ़ा रहे संताप, अंश अनागत समझ न पाये,विकल नीति आधार। सत्य सनातन नाम ईश का,सबके पालन हार । महिमा करें बखान पुण्यपथ,राम-रमा अनिकेत। मर्यादा को लाँघा जिसने, दुष्ट हृदय समवेत। क्षुद्र ग्रहों…

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