आन के लिए

आधार छंद- वाचिक चामर
मापनी – गालगाल गालगाल गालगाल गालगा
2121, 2121, 2121,212
समांत – आन, पदांत- के लिए
गीतिका —–

वार दें सु स्वप्न प्राण देश आन के लिए ।
गर्व है हमें अनंत शौर्यवान के लिए ।

वंदनीय हैं शहीद मातृभूमि के सदा,
धन्य ये शहादतें धरा महान के लिए ।

जागिए सुजान ये धरा पुकारती हमें ।
राज नीति की बिसात है न मान के लिए ।

हेकड़ी जमा रहे विकार युक्त लोग जो,
स्वार्थ में जुटे वही न मर्म ज्ञान के लिए।

टूटता समाज है कुरीतियाँ फसाद से ,
मीत एक हों सभी बढ़े निदान के लिए ।

बूँद बूंद रक्त में प्रवाह देश प्रेम हो
शक्ति साधना हमें सुदीप दान के लिए ।
डॉ प्रेमलता त्रिपाठी

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