श्रीराम-स्तुति
श्रीराम-स्तुति ……..
कर जोड़े सब करें वंदना,प्रिय आओ रघुवर प्यारे।
नहीं धुरंधर आज जगत में,जो तुमबिन संबल वारे।
तृषा विश्व की कौन बुझाए,दुख दारुण देकर दूने,
मन की गागर कौन भरेगा,कोर हुए जब-जब सूने ।
अवध पुरी को जगमग कर दो,तमसावृत अँधियारे
कर जोड़े सब करें वंदना,प्रिय आओ रघुवर प्यारे ।
कृष्ण-केश से शृंग सुहाए,है दिशाहीन क्यों बदरी,
सुखद रश्मि से कंत भानु की,पुनि रिमझिम भीगे सदरी।
प्राण कृषक के जनजीवन के,नयना सींचे कजरारे,
कर जोड़े सब करें वंदना,प्रिय आओ रघुवर प्यारे ।
अपनेपन की पाती लेकर,प्रिय पवनपुत्र का आना,
भेद न कोई मन में उनके,शुचि मंत्र-पूत पथ नाना ।
चक्रवात से घिरा चतुर्दिक, जैसे घूमें बंजारे,
कर जोड़े सब करें वंदना,प्रिय आओ रघुवर प्यारे ।
धुंध मिटाने क्षितिज संग में,शंखनाद करते नागर,
शीत-ताप हो सजे किनारे,जल-थल मुखरित गागर।
राम-रमापति कौशल्या प्रिय,दशरथ के राजदुलारे,
कर जोड़े सब करें वंदना,प्रिय आओ रघुवर प्यारे ।
——————-डॉ.प्रेमलता त्रिपाठी