• #गीत

    “शुभ-शुभ बोलो माँ कहती”

    बाल-गीत भोला बचपन समझ न पाया,शुभ-शुभ बोलो मांँ कहती । देख गगन से टूटा तारा, अनहोनी से जो डरती । बिजली चमके ज्यों घन गरजे, झम-झम ओले बरसे, गहन अंँधेरे से डर जाए, बंद करे खिड़की डर से । सन-सन चलती तेज हवाएं,शुभ-शुभ बोलो मांँ कहती । देख गगन से टूटा तारा,, अनहोनी से जो डरती । कभी न जाना सूनी राहें, किस्से दादी नानी से । घड़ी अशुभ की कभी न आए, अपनी ही नादानी से । चढ़े न हम पर काला जादू,शुभ-शुभ बोलो मांँ कहती । देख गगन से टूटा तारा, अनहोनी से जो डरती । काला धागा बाँध कलाई, सभी बलाएं जो हर ले। प्रेम भरा संसार…

  • #गीत

    “सूने नयन तुम्हारे “

    संवेदना हमारी………. बोझिल पलकें मेरी बहनों,सूने नयन तुम्हारे । शपथ लिया सिंदूरी हमने,सरहद हमें पुकारे । तुम से मांँग सिंदूरी प्रीतम, लेकर सातो फेरे । अनजाने पथ लगे सुहाने, स्वप्न लिए बहुतेरे । रची हाथ मेंहदी-न छूटी, नूपुर नयन निहारे । बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे । नहीं मानती धड़कन उलझे, राह निहारे किसकी । सब झूठे दिखते दर्पण में, आंँचल रोपे हिचकी । उन्हें देख अब तस्वीरों में, देखें नभ के तारे । बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे । दीन धरम सब भूल चुके जो, हया न जिनको आती । उठे हाथ कृत संकल्पों के, नहीं बचेंगे घाती । देखें चितवन से कजरारी,’लता’ सिसकती हारे…

  • #गीत

    “राह निहारे किसकी”

    संवेदना हमारी…….. बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे । शपथ लिया सिंदूरी हमने,सरहद हमें पुकारे । तुमसे मांँग सिंदूरी प्रीतम, लेकर सातो फेरे । अनजाने पथ लगे सुहाने, स्वप्न लिए बहुतेरे । रची हाथ मेंहदी न छूटी,नूपुर नयन निहारे । बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे । नहीं मानती धड़कन उलझे, राह निहारे किसकी । सब झूठे दिखते दर्पण में, आंँचल रोपे हिचकी । उन्हें देख अब तस्वीरों में,देखें नभ के तारे । बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे । दीन धरम सब भूल चुके जो, हया न जिनको आती । उठे हाथ कृत संकल्पों के, नहीं बचेंगे घाती । देखें चितवन से कजरारी,’लता’ सिसकती हारे ।…

  • #गीत

    “प्रेम पथिक की ठाँव”

    निशा दिवस की दिव्य रश्मियाँ,ऋतुओं का श्रृंगार । रामनाम का पावन दर्शन । संग सजा संसार । हँसता गाता बचपन-यौवन, नित अपनों का साथ । नेक राह पर चलना सुंदर, संगति देते हाथ । तृषाजगत हित सदा लुभाए,भूख न हो व्यापार । रामनाम का पावन दर्शन, संग सजा संसार । सोच रही हूँ रातें कितनी, बीती सुबहो शाम । साधक तन-मन महकी बगिया, संचित जो निष्काम । छाया पेड़ खजूर न देता, अहं खड़ा लाचार । रामनाम का पावन दर्शन, संग सजा संसार । क्या खोया क्या पाया हमने, प्रेम पथिक की ठाँव । डूब रही कागज की नौका, सह न सकी जो दाँव । उम्र हो गई तकते साथी,…

  • #गीत

    “होली” 2025………

    “होली” 2025…… #गीत प्रकृति-वधूटी आयी अँगना,मंगल गीत सुनाए । लाज भरी निरखे कजरारी,हिय की तृषा बुझाए । नील गगन से बगरी आभा,सरल मिलन की बेला, सुखद आगमन मदन-कंत का,लगा मनोहर मेला । नगर-सगर में खुशियाँ छायीं,उपवन पुष्प सजाए, मदन बाण से हुए सुवासित, भ्रमर भ्रामरी गाए । प्रकृति-वधूटी आयी अँगना,मंगल गीत सुनाए । तरु-पत – झारे पुनः सँवारे,सजी धरा ज्यों दुल्हन, पहन चली नकबेसर तरुणी, ऋतुराजा से बन्धन । ठगे खड़े जो विकल बटोही, तन-मन को उरझाए, मोह रही है स्वांग रचाए,पथ को जो बिसराए । प्रकृति-वधूटी आयी अँगना,मंगल गीत सुनाए । नवल पाँखुरी डाली-डाली,फुनगी बाँधे मन को, तरुवर शाखा झूमें विहरे,लखे मयूरी तन को । केका से है कूक…

  • #गीत

    “सुधियाँ लेकर आयी होली”

    #गीत दृग भरमाये फागुन प्रीतम ,पीत हरित चहुँओर सखी री ! यौवन पर है सनई सरपत, रीझ गए मतिभोर सखी री ! अंग-अंग में अलख जगाए, फगुनी गोरी रूप बदलकर । उड़ते आँचल ले अँगड़ाई, अमवा बौरे लेकर पतझर । रंग भरे पुलके वासंती, शरमाये दृगकोर सखी री । यौवन पर है सनई सरपत,रीझ गए मतिभोर सखी री ! भ्रमर प्रभाती सुधा पिलाये । जाग उठे कोरक नलिनी के, नील गगन से आभा निखरी, लोल लहर लहरें तटिनी के । मीन मगन पर नैन भयातुर,भागीं देख अँजोर सखी री । यौवन पर है सनई सरपत, रीझ गए मतिभोर सखी री ! सुधियाँ लेकर आयी होली, रंग भरी कलसी ढलकाती ।…

  • गीतिका

    अर्चना में खिली पाँखुरी-पाँखुरी ।

    #गीत कोर भीगे नयन भर रही आँजुरी……… राधिका सुन रही श्याम की बाँसुरी। अर्चना में खिली पाँखुरी-पाँखुरी । गाँव गोकुल गली गागरी भूलकर, साधिका वन फिरे पथ बिछे शूलपर। श्याम रंग में रँगी चूनरी श्यामला, प्रीत रुनझुन बजे बावरी-माधुरी । राधिका सुन रही श्याम की बाँसुरी ——- अर्चना में खिली पाँखुरी-पाँखुरी । पीर मन की भुला दो सखे श्याम जी, पा सकूँ मान धन प्रेम श्री धाम जी। साथ तेरा मिले बंदगी ये रहे, कोर भीगे नयन भर रही आँजुरी । राधिका सुन रही श्याम की बाँसुरी ——— अर्चना में खिली पाँखुरी-पाँखुरी । मान ले तू अगर प्रेम मीरा बनूँ,। जग हँसेगा हँसे मीत धीरा बनूँ। चैन मन की हरे…

  • #गीत

    “धीर धरो कहता संयम”

    बसंत पंचमी पर्व 2025 एवं मांँ शारदा को समर्पित #गीत मातु शारदा आओ रुनझुन गीत बसंत रचे सरगम। सरस बजाओ वीणा आकर,फाग उड़े फहरे परचम । अलिकुल वश में मदन बाण के, मधुरस कलश भरें कलियाँ । पीत वसन फहराती सरसों, वन कुंजन महके गलियांँ । शर-संधान लिए सनई के, आए हैं देखो प्रीतम । सरस बजाओ वीणा आकर,फाग उड़े फहरे परचम । नाद-ताल लय साज सधेंगे, वंदन के स्वर मधुमासी । अधर-अधर नव किसलय उमगे, अंखियांँ कातर हैं प्यासी । दीन करें मन आर्त्तनाद से,धीर धरो कहता संयम । सरस बजाओ वीणा आकर,फाग उड़े फहरे परचम । #लता पहन वासंती चूनर, अंग-अंग थिरके नच के । गीत लावणी सहज…

  • #गीत

    भारत वंदेमातरम्

    “पंजाब केसरी का वंदन” #गीत (मनके मन के) ———————– गूंज उठी जब वादियां,भोर सुहानी लाल । भारत वंदे मातरम्,’लाल’ ‘बाल’ औ ‘पाल’ ।। राष्ट्रधर्म हर श्वांस में, है अपनी पहचान । सुन ऐ वीरों की धरा,तू मेरा अभिमान ।। भरे खेत खलिहान से,उन्नत कृषि से गाँव । कहो गर्व से नाज से, लिए तिरंगा छांव ।। अडिग तेज विश्वास जो,बना हुआ था ढाल । भारत वंदे मातरम्,’लाल’ ‘बाल’ औ ‘पाल’ ।। उठी नजर प्रतिघात की,अपना हो संधान । बढ़े कदम जो शत्रु के, टूट गिरे नादान ।। बूँद ऋणी हर रक्त की,तुझ पर हो निष्काम । लहर तिरंगा मान तू, देश-राज्य प्रति ग्राम।। बुनते माया तंत्र जो, कटे विरोधी जाल…

  • #गीत

    #चला कारवां

    #गीत देख सुनहरी आभा पिय की,अनुपम ताना-बाना । सांझ सुरमई सुरम्य वादी, छेड़े नवल तराना । उदय-अस्त का सुन्दर सरगम, पथिक निराला झूमें । कंचन वर्णी क्षितिज साधना, धरा गगन को चूमें । बिखरी लाली अरुणिम अंचल,सुरभित सुखद सुहाना । सांझ सुरमई सुरम्य वादी, छेड़े नवल तराना । छलक उठी है लौह भस्म सी, उर्जित रवि की गागर । भुवन विजेता भगवा पहने, सत्य-शील सुख सागर। शंखनाद से गूंजे परिसर, तोरण फहरे नाना । सांझ सुरमई सुरम्य वादी, छेड़े नवल तराना । पुलकित खिलते कमल सरोवर, मन मराल मन-मोहित । दिव्य ज्योति प्राची से पश्चिम, रश्मि पुंज तन शोभित । चला कांरवा पंथ संगमित,दूर देश है जाना । सांझ सुरमई…

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