
“सूने नयन हमारे “
संवेदना हमारी……….
बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे ।
शपथ लिया सिंदूरी हमने,सरहद हमें पुकारे ।
तुम से मांँग सिंदूरी प्रीतम,
लेकर सातो फेरे ।
अनजाने पथ लगे सुहाने,
स्वप्न लिए बहुतेरे ।
रची हाथ मेंहदी-न छूटी, नूपुर नयन निहारे ।
बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे ।
नहीं मानती धड़कन उलझे,
राह निहारे किसकी ।
सब झूठे दिखते दर्पण में,
आंँचल रोपे हिचकी ।
उन्हें देख अब तस्वीरों में, देखें नभ के तारे ।
बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे ।
दीन धरम सब भूल चुके जो,
हया न जिनको आती ।
उठे हाथ कृत संकल्पों के,
नहीं बचेंगे घाती ।
देखें चितवन से कजरारी,’लता’ सिसकती हारे ।
बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे ।
—————————डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी
