“श्याम प्रीत उपवेद”
#गीत
विरह दिया क्यों पीड़ा जाँचें,
चितवन आतुर भेद ।
अनगढ़ बातें लिखकर भेजूँ,
श्याम प्रीत उपवेद ।
घने बादलों संग तुम्हारे,
चलना पिय के गाँव ।
बूँदों में ढल जाऊँ प्रियवर,
वंशीवट की छाँव ।
दीन करे पिय याद तुम्हारी,हठ करते मन खेद।
————————–श्याम प्रीत उपवेद ।
कोटिक तामस क्रंदन करते,
भ्रमर वृंद के खेप ।
अंग लसे पिय नील नलिन के,
श्याम वर्ण के लेप ।
चीर चुराकर यमुना तट पर,स्नान करे उच्छेद
————————–श्याम प्रीत उपवेद ।
व्याधि जगत की अलग सताए,
नहीं सहज ये रोग ।
उबरे माधव जोगन काया
माखन मिश्री भोग ।
“लता” विटप पर गीत अधर पर, निश्छल हो निर्वेद
————————–श्याम प्रीत उपवेद ।
——–डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी
उपवेद
(सं.) [सं-पु.] 1. चार वेदों से ग्रहण की गई लौकिक कलाओं या विद्याओं का सामूहिक नाम, जिसमें ऋग्वेद से आयुर्वेद, यजुर्वेद से धनुर्वेद, सामवेद से गंधर्ववेद और अथर्ववेद से स्थापत्यवेद निकले हैं 2. लौकिक विद्या।