सत्यसंध हैं न्यारे
#सखाप्रेम (बाल सखा निषाद राज गुह )
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#गीत
अति प्रसन्न गुहराज बुलाकर, बंधु समेत हुँकारे ।
जन्म सफल जो आज हुआ है,अहो भाग्य प्रिय द्वारे ,
सत्य सनातन के रखवारे, सखा भानुकुल पालक,
हित संकल्प लिए किस कारण,मति मलीन के घालक ।
राज भोग की नौका छोड़ी,होकर वन के सेवी,
संग सुता हैं जनक-दुलारी,कुलवधु रघुकुल देवी ।
अवध सहित व्याकुल परिजन,विरह-अनल तन जारे ।
जन्म सफल जो आज हुआ है,अहो भाग्य प्रिय द्वारे ।
कंठ हुए अवरुद्ध सोचकर, प्राण सखा का रोया ,
हस्त कमल जो रोप रहे हैं,सखि आनन को धोया
ध्यान लगा कर सुनिए सुधिजन, करें सभी अभिनंदन,
राम रथी प्रतिपाल जगत के, करिए मन को स्यंदन ।
पगकंटक मिल आज चुनेंगे,पुष्पित पंथ सँवारे ।
जन्म सफल जो आज हुआ है,अहो भाग्य प्रिय द्वारे ।
भेद न कोई बाल सखा मम, कथा समेत सुनाए ।
कर्म न कोई किया अकारथ, धर्म ध्वजा फहराए ।
अश्रु नयन से झर-झर झरते,प्रेम नयन के जीते
रोक सके कब हिय की करुणा,अधर रहे जो पीते ।
दिगदिगंत तक गूंज उठी ज्यों,सत्यसंध हैं न्यारे ।
जन्म सफल जो आज हुआ है,अहो भाग्य प्रिय द्वारे ।
————–डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी