“प्यारी लोरी गीत बनी”
#गीत
गूँगे को मीठा मिल जाये,स्वाद नहीं कहने में आये ।
आज बहुत ही खुश हूँ प्रियवर,तुम मेरे सपने में आये।
हीरा माणिक अंक सजाकर,
तुम को पाया आँचल में ।
बिछुड़े थे हम कहाँ तुम्हारे,
बहकर गाते काजल में ।
आँख ढरे सुरमा सुषमा से,बूँद जहाँ गलने में आये।
गूँगे को मीठा मिल जाये,स्वाद नहीं कहने में आये ।
प्यारी लोरी गीत बनी जब,
माँ की गोदी गुलजार हुई ।
दो नयनों की दूरी जैसे –
अब कोरों के अनुसार हुई ।
इतनी यादें कहाँ समेटूँ, प्रात सहज जगने में आये।
गूँगे को मीठा मिल जाये,स्वाद नहीं कहने में आये ।
जोड़ दिया अपना हमसाया,
नेह सजल नित अरमानों की।
घिरे आपदा तुम पर ओजूँ,
डटकर; आते तूफानों की ।
एक लड़ी नित प्रभु की माला,मनके बन जपने में आये ।
गूँगे को मीठा मिल जाये,स्वाद नहीं कहने में आये ।
—————–डॉ प्रेमलता त्रिपाठी