#शिवा #शाम्भवी
#शिवा #शाम्भवी #करिए #अर्चन
लहर लहर तट रहा झकोरे,
घूम रहा तूफान निराला ।
घूम रहा तूफान —–
फँसा बटोही नगर डगर तक
बना हुआ हैवान निराला ।
बना हुआ हैवान—-
विफर पड़ी आक्रोशित लहरें
शिवा शाम्भवी करिए अर्चन ।
जनधन की भारी है चिंता,
त्राहि मचाये ये परिवर्तन ।
भृकुटि तानकर खड़ी आपदा,
लेना है संज्ञान निराला ।
लेना है संज्ञान ——-
शक्ति साधना अपनी करनी
अनहोनी को रोके जैसे ।
स्वर्ण अक्षरों में लिख जाता,
सिद्ध कामना होती कैसे ।
विवश करे यह पथ दुरूह पर
होगा अनुसंधान निराला ।
होगा अनुसंधान ——
शिवताण्डव का भान नहीं,
सुन लो भस्मासुर अपघाती।
अरे आसुरी माया छलनी,
देवभूमि क्या तेरी थाती ।
नयन तीसरा खुलने वाला
टूटेगा अभिमान निराला ।
टूटेगा अभिमान —–
डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी