• #गीत

    शब्दों की सार्थकता

    विजयपर्व विजयादशमी की हार्दिक बधाई शुभकामनाएँ ——– शब्द को ऐसे न छोड़ें, कि वह तीर हो जाए । घात अंतस तक करे जो, कि गंभीर हो जाए । तब तक उसे भी तोलिए, हिय सधे तराजू पर, बहे कपोलों पर करुणा, सघन नीर हो जाए। शब्द को ऐसे न छोड़ें, कि वह तीर हो जाए । शब्दों की सार्थकता को, सिद्ध भाव ही करते। व्रण का जो अवलेह बने, पीड़ा वे ही हरते। निष्ठा को निष्ठुरता से, करिए कभी न छलनी, हृदय समाती वाक्-सुधा, मधुर क्षीर हो जाए। शब्द को ऐसे न छोड़ें, कि वह तीर हो जाए । शब्द नहीं सेना आयुध, हार जीत का कारण। अनघ शक्ति संबल…

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