• #गीत

    सच्चाई स्वीकार करें

    गीत मान सभी को प्यारा है पर, झूठे हैं उपमान सभी । क्या मांँगे हम मदद जगत से,बन बैठे अनजान सभी। काँधे जिसके झुके बोझ से, उसका अपना कौन यहांँ । नये दौर की बात निराली, बढ़े मदद को हाथ कहाँ । पीर पराई कहकर अपनी, खोती है पहचान सभी। क्या मांँगे हम मदद जगत से,बन बैठे अनजान सभी। पथ पर बिखरे काँटे फिर भी, कभी न हम पर वार करें। अपनों में ही छिपे पराए, सच्चाई स्वीकार करें। खो देते हैं पलभर में जो, दीन-धर्म ईमान सभी। क्या मांँगे हम मदद जगत से,बन बैठे अनजान सभी। कथनी-करनी में अंतर से, नाते लगते मतलब के। विरले होते संघर्षों में, सदा…

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