• #गीत

    “भूले बिसरे नगमें “

    #गीत गीत गुनें मन सप्त सुरों में, मुझमें नित विश्वास जगाए । मंत्र मुग्ध सी करे यकीनन, अलख साधना प्यास जगाए । तरल तरंगित अंतस्तल की, सहज वेदना लगे सो गई । दूर गगन तक घिरी साँझ की, अमा न जाने कहाँ खो गई । शून्य हुई जब जगत चेतना,कोई आकर पास जगाए । मंत्र मुग्ध सी करे यकीनन,अलख साधना प्यास जगाए । भाग्य भरोसे चला सारथी, जीवन रथ की कहे कहानी । भूले बिसरे नगमें छेड़े , बीते पल की वहीं पुरानी । छलक उठे जो नयन कोर से,सरल तरल अहसास जगाए। मंत्र मुग्ध सी करे यकीनन,अलख साधना प्यास जगाए । कर्म किए जा सार्थक मानव, खोज रहा परिणाम…

  • #गीत

    “शुभ-शुभ बोलो माँ कहती”

    बाल-गीत भोला बचपन समझ न पाया,शुभ-शुभ बोलो मांँ कहती । देख गगन से टूटा तारा, अनहोनी से जो डरती । बिजली चमके ज्यों घन गरजे, झम-झम ओले बरसे, गहन अंँधेरे से डर जाए, बंद करे खिड़की डर से । सन-सन चलती तेज हवाएं,शुभ-शुभ बोलो मांँ कहती । देख गगन से टूटा तारा,, अनहोनी से जो डरती । कभी न जाना सूनी राहें, किस्से दादी नानी से । घड़ी अशुभ की कभी न आए, अपनी ही नादानी से । चढ़े न हम पर काला जादू,शुभ-शुभ बोलो मांँ कहती । देख गगन से टूटा तारा, अनहोनी से जो डरती । काला धागा बाँध कलाई, सभी बलाएं जो हर ले। प्रेम भरा संसार…

  • #गीत

    सारथी जगदीश्वर

    भाव भरे सिंदूरी आकर,हृदय हुआ भावुक उद्गम। हुई साधना अभिमंत्रित ये.धीर धरो कहता संयम। शैशव से यौवन मनभावन, भावी भी होगा सुंदर, प्रतिपल अर्पित आराधन का, पुलकित होता हिय-अंतर। अलिकुल वश में मदन बाण के,खोल रहीं पुट को कलियाँ, पीत वसन मधुमासी अंचल, महके वन कुंजन गलियाँ । लोकलुभावन बातें अनगिन,सुर साधे जैसे पंचम । हुई साधना अभिमंत्रित ये.धीर धरो कहता संयम । शर-संधान लिए सनई के, फाग उड़े हौले-हौले, सरस सुनाए मधुकर आकर, कुंज-कुंज मधुरस घोले । नाद-ताल लय साज सधें ज्यों,प्राण भरे स्वर उपवासी, हेम रश्मि से आलोकित रवि,अँखियाँ दर्शन की प्यासी । दीप स्नेह का जले सदा ही,विरह-मिलन फिर हो संगम । हुई साधना अभिमंत्रित ये.धीर धरो…

  • #गीत

    “राह निहारे किसकी”

    संवेदना हमारी…….. बोझिल पलकें मेरी बहनों,सूने नयन तुम्हारे । शपथ लिया सिंदूरी हमने,सरहद हमें पुकारे । तुमसे मांँग सिंदूरी प्रीतम, लेकर सातो फेरे । अनजाने पथ लगे सुहाने, स्वप्न लिए बहुतेरे । रची हाथ मेंहदी न छूटी,नूपुर नयन निहारे । बोझिल पलकें मेरी बहनों,सूने नयन तुम्हारे । नहीं मानती धड़कन उलझे, राह निहारे किसकी । सब झूठे दिखते दर्पण में, आंँचल रोपे हिचकी । उन्हें देख अब तस्वीरों में,देखें नभ के तारे । बोझिल पलकें मेरी बहनों,सूने नयन तुम्हारे । दीन धरम सब भूल चुके जो, हया न जिनको आती । उठे हाथ कृत संकल्पों के, नहीं बचेंगे घाती । देखें चितवन से कजरारी,’लता’सिसकती हारे । बोझिल पलकें मेरी बहनों,सूने…

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    “प्रेम पथिक की ठाँव”

    निशा दिवस की दिव्य रश्मियाँ,ऋतुओं का श्रृंगार । रामनाम का पावन दर्शन । संग सजा संसार । हँसता गाता बचपन-यौवन, नित अपनों का साथ । नेक राह पर चलना सुंदर, संगति देते हाथ । तृषाजगत हित सदा लुभाए,भूख न हो व्यापार । रामनाम का पावन दर्शन, संग सजा संसार । सोच रही हूँ रातें कितनी, बीती सुबहो शाम । साधक तन-मन महकी बगिया, संचित जो निष्काम । छाया पेड़ खजूर न देता, अहं खड़ा लाचार । रामनाम का पावन दर्शन, संग सजा संसार । क्या खोया क्या पाया हमने, प्रेम पथिक की ठाँव । डूब रही कागज की नौका, सह न सकी जो दाँव । उम्र हो गई तकते साथी,…

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