“किलकारी से गूँजे उपवन”
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ….
#गीत
खिले मनुजता सजे वाटिका,अगणित हैं उपनाम।
बाल रूप ज्यों लिए कन्हाई, आए छवि के धाम ।
मातु गर्भ से पाकर अभिनव,
करिए जीवन सार ।
शोभा शाली संसृतिअपनी,
जग की पालन हार ।
हर बाला हो दिव्य अंगना,हर बालक हो राम ।
बाल रूप ज्यों लिए कन्हाई,आए छवि के धाम ।
पंचतत्व से निर्मित काया,
मिल जाए फिर रेह ।
सूर्य चंद्र से अंध कटे ज्यों,
साँझ ढले नित स्नेह ।
किलकारी से गूँजे उपवन,सुंदर हो विश्राम ।
बाल रूप ज्यों लिए कन्हाई,आए छवि के धाम ।
आँजे कोमल #लता प्रेम की,
करिए वह अनुबंध ।
नियति प्रेम की सत्य सर्जना,
प्रेम लिए सौगंध ।
ज्ञान, धर्म,पौरुष से अभिनव,प्राची लगे ललाम ।
बाल रूप ज्यों लिए कन्हाई,आए छवि के धाम ।
डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी