• #गीत

    हिन्दी हिन्दुस्तान की ।

    हिन्दी हिन्दुस्तान की । #गीत कण-कण में भर दे नव स्पंदन,हिन्दी हिन्दुस्तान की । धूप-दीप नैवेद्य धूम सम, महिमा गुरु के ज्ञान की । ज्ञान मान से काटे जड़ता, मिटती है कटु वेदना । ज्ञान सुमन प्रतिभा का संचय, सजग सृष्टि संचेतना । वरद हस्त हों! ज्ञान दायिनी,बरसे नित वरदान की । कण-कण में भर दे नव स्पंदन,हिन्दी हिन्दुस्तान की । मलय वात सी चहुँ दिक डोले, सहज गामिनी हिन्दी भाषा । सुत अभिशापित होंगे जिनकी, बनी नहीं मन की अभिलाषा । दासत्व सुहाता उन्हें सदा ही,भाषा पर उपधान की । कण-कण में भर दे नव स्पंदन,हिन्दी हिन्दुस्तान की । अचल गिरा ये बोध हमें हो, कंठ सुधा ये हिन्दी…

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