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“नेह की लेकर छुअन”
#गीत वेदना संवेदना से क्षार हो जाए । दो नयन के धार से उपचार हो जाए । देह बाती की जली है नेह की लेकर छुअन । आ गया सावन सुहाए,प्यार की मीठी चुभन। पाँव सँभले हैं नहीं झंकार हो जाए । दो नयन के धार से उपचार हो जाए । सेज काँटों की बिछी पर दूब दुलराए उठन । बूँद रिमझिम गा रही घन शाख पर गाए सुगन। गूँज अनहद सावनी बौछार हो जाए । दो नयन के धार से उपचार हो जाए । पीर मन की बाँट कर बढ़ते रहेंगे हत थकन । आग पानी का समन्वय हो सकेगा ये जतन । तप्त पछुआ की हनक लाचार हो…
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हिन्दी हिन्दुस्तान की ।
हिन्दी हिन्दुस्तान की । #गीत कण-कण में भर दे नव स्पंदन,हिन्दी हिन्दुस्तान की । धूप-दीप नैवेद्य धूम सम, महिमा गुरु के ज्ञान की । ज्ञान मान से काटे जड़ता, मिटती है कटु वेदना । ज्ञान सुमन प्रतिभा का संचय, सजग सृष्टि संचेतना । वरद हस्त हों! ज्ञान दायिनी,बरसे नित वरदान की । कण-कण में भर दे नव स्पंदन,हिन्दी हिन्दुस्तान की । मलय वात सी चहुँ दिक डोले, सहज गामिनी हिन्दी भाषा । सुत अभिशापित होंगे जिनकी, बनी नहीं मन की अभिलाषा । दासत्व सुहाता उन्हें सदा ही,भाषा पर उपधान की । कण-कण में भर दे नव स्पंदन,हिन्दी हिन्दुस्तान की । अचल गिरा ये बोध हमें हो, कंठ सुधा ये हिन्दी…