“मुरली मदन मुरारी”
“श्रीकृष्ण जन्माष्टमी” पर विशेष ———
#गीत
कृष्ण-कृष्ण मय हुई धरा,भादौं की अँधियारी ।
प्रकट हुए थे नटवर नागर,मन मोहन गिरिधारी ।
दिवस अष्टमी कारागृह में,
जन्में देवकि नन्दन ।
यशुदा आँगन बजी बधाई,
गोकुल से वृंदावन ।
गोप-सखा हिय नंद दुलारे,प्रिय वृषभानु दुलारी ।
प्रकट हुए थे नटवर नागर,मन मोहन गिरिधारी ।
ग्वाल सखा सह धेनु चराए
चीर चुराए ग्वालन ।
तट यमुना वंशी वट पनघट,
हरषे मुकुलित मधुबन ।
मटकी फोड़ी माखन चोरी, ऐसे थे बनवारी ।
प्रकट हुए थे नटवर नागर,मन मोहन गिरिधारी ।
कंस त्रास से रक्षा करने,
करने अरि का मर्दन ।
त्राहि त्राहि चहुँ ओर मची थी,
धारे चक्र सुदर्शन ।
मधुर बाँसुरी जग भरमाए,मुरली मदन मुरारी ।
प्रकट हुए थे नटवर नागर,मन मोहन गिरिधारी ।
———————-डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी