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“मुरली मदन मुरारी”
“श्रीकृष्ण जन्माष्टमी” पर विशेष ——— #गीत कृष्ण-कृष्ण मय हुई धरा,भादौं की अँधियारी । प्रकट हुए थे नटवर नागर,मन मोहन गिरिधारी । दिवस अष्टमी कारागृह में, जन्में देवकि नन्दन । यशुदा आँगन बजी बधाई, गोकुल से वृंदावन । गोप-सखा हिय नंद दुलारे,प्रिय वृषभानु दुलारी । प्रकट हुए थे नटवर नागर,मन मोहन गिरिधारी । ग्वाल सखा सह धेनु चराए चीर चुराए ग्वालन । तट यमुना वंशी वट पनघट, हरषे मुकुलित मधुबन । मटकी फोड़ी माखन चोरी, ऐसे थे बनवारी । प्रकट हुए थे नटवर नागर,मन मोहन गिरिधारी । कंस त्रास से रक्षा करने, करने अरि का मर्दन । त्राहि त्राहि चहुँ ओर मची थी, धारे चक्र सुदर्शन । मधुर बाँसुरी जग भरमाए,मुरली…
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“श्याम प्रीत उपवेद”
#गीत विरह दिया क्यों पीड़ा जाँचें, चितवन आतुर भेद । अनगढ़ बातें लिखकर भेजूँ, श्याम प्रीत उपवेद । घने बादलों संग तुम्हारे, चलना पिय के गाँव । बूँदों में ढल जाऊँ प्रियवर, वंशीवट की छाँव । दीन करे पिय याद तुम्हारी,हठ करते मन खेद। ————————–श्याम प्रीत उपवेद । कोटिक तामस क्रंदन करते, भ्रमर वृंद के खेप । अंग लसे पिय नील नलिन के, श्याम वर्ण के लेप । चीर चुराकर यमुना तट पर,स्नान करे उच्छेद ————————–श्याम प्रीत उपवेद । व्याधि जगत की अलग सताए, नहीं सहज ये रोग । उबरे माधव जोगन काया माखन मिश्री भोग । “लता” विटप पर गीत अधर पर, निश्छल हो निर्वेद ————————–श्याम प्रीत उपवेद ।…