“तोय तुमुल तट तटिनी से”
माह सावन को समर्पित ।
#गीत
आया सावन मनभावन , पात-पात हरषे मुकुलित।
नयन सुभग आतुर चितवन,प्रीत भरी कलिका अन्वित ।
आस जगी पग नूपुर की ,
ठुमक उठी मन की डाली ।
दे संदेशा विरहन को,
ज्यों तीन ताल भूपाली ।
सुर लिए कहरवा टिप-टिप,नृत्य करे बरखा पुलकित ।
आया सावन मनभावन , पात पात हरषे मुकुलित ।
पहन धरा चूनर धानी
ग्राम्य वधू सरसी हरषीं ।
भरी कलाई खनक उठी,
कर हरी चूड़ियाँ हुलसीं ।
तोय तुमुल तट तटिनी से ,उफन-उफन होतीं गर्वित ।
आया सावन मनभावन , पात-पात हरषे मुकुलित ।
#लता सुहाए मास-दिवस,
झूले सखियाँ तरु छैंया ।
शिव आराधन पर्व सहित,
चले मिलन को पुरवैया ।
नील गगन से वारिद ज्यों,लगन लिए अनुरागी चित ।
आया सावन मनभावन , पात-पात हरषे मुकुलित ।
***************डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी