“देख सजन लालित्य”
#गीत
हरित कहानी होगी पूरी, तुम से हे! ऋतुराज।
विहँस पड़ी ये नव्य मालिका,सुन्दर ये आगाज़।
महक उठी रजनी गंधा से,निशा करे अभिसार।
धरा सजाए गुलमोहर से, लहके पथ अंगार ।
फाग बसंती जामा पहिरे, पटुका बाँथे भाल ।
फूलन से बगिया सँवरी नित,हरित पीत तन लाल ।
माँग भरो सिंदूरी आकर,तुम मेरे सरताज ।
हरित कहानी होगी पूरी तुम से हे!ऋतुराज।
मंत्र पूत हो नित्य साधना, प्रियवर तुम आदित्य ।
ओढ़ चुनरिया वसुधा रोपे, देख सजन लालित्य।
मोह रहा मन दिग दिगंत तक,तुम जो आये कंत ।
वर्ष-वर्ष तक वैभव तेरा , सदा रहे जीवंत ।
फूल-फूल औ पात-पात से,उपवन करते नाज,
हरित कहानी होगी पूरी तुम से हे! ऋतुराज।
अलख रुहानी रचना सुंदर,रूपसि का शृंगार ।
सरस उठी जूही चम्पा भी,कहीं खिले कचनार ।
सदा सहचरी प्रकृति हमारी,धरती से सानिध्य ।
प्रेम मगन टेसू मुस्काए, रच डाले साहित्य ।
गीत – बंध संगीत हमारे,छेडे़ मन के साज ।
हरित कहानी होगी पूरी तुम से हे! ऋतुराज।
——————–डॉ.प्रेमलता त्रिपाठी