
अभिनंदन “श्रीराम” जी
#गीत
हे! अनुरागी श्री राम पिया,मैं झुकि-झुकि करूँ नमन ।
नैना भीगे अविराम पिया,मैं झुकि-झुकि करूँ नमन ।
जाग उठे कोरक नलिनी ज्यों
मधुकर मधुबन घेरे ।
तुम से जागृत जगत-पाल हे !
राम-राम नित टेरे ।
कलयुग में त्रेता ले आए, अनुपम हे! कमल नयन ।
हे! अनुरागी श्री राम पिया, मैं झुकि-झुकि करूँ नमन ।
लोल कपोलों की छवि मोहक,
सजल नयन ये नीरज ।
अंग अनंग विभोर करे मन
थिर न सके मन धीरज ।
चित्रलिखित से हीरे माणिक, कटितट निरखे करधन ।
हे! अनुरागी श्री राम पिया,मैं झुकि-झुकि करूँ नमन।
अवध पुरी का आँगन हर्षित,
झूम उठे गलियारे ।
शोभित चहुँदिक देव भूमि यह,
झूमर बंदन वारे ।
‘लता’ निराली शोभा प्यारी, मुस्काये श्याम वदन ।
हे! अनुरागी श्री राम पिया,मैं झुकि-झुकि करूँ नमन।
———————डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी

