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अभिनंदन “श्रीराम” जी
#गीत हे! अनुरागी श्री राम पिया,मैं झुकि-झुकि करूँ नमन । नैना भीगे अविराम पिया,मैं झुकि-झुकि करूँ नमन । जाग उठे कोरक नलिनी के मधुकर के फेरों में । तुम से जागृत लोकपाल हे ! हिय श्वसन घेरों में । त्रेता सी कलयुगी धारणा, ले आये कमल नयन । हे! अनुरागी श्री राम पिया,मैं झुकि-झुकि करूँ नमन । लोल कपोलों की छवि मोहक, सजल नयन ये नीरज। अंग अनंग विभोर करे मन थिर न सके मन धीरज । चित्रलिखित भे हीरे माणिक, कटितट निरखे करधन । हे! अनुरागी श्री राम पिया,मैं झुकि-झुकि करूँ नमन। अवध पुरी का आँगन हर्षित, झूम उठे गलियारे । शोभित चहुँदिक देव भूमि यह, झूमर बंदनवारे ।…
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“राम-राम कह अलख जगा लें,”
#गीत भाल लगाए रोली चंदन, दर्शन कर श्री धाम। राम-राम कह अलख जगा लें,बनते बिगडे़ काम। राम चरित की पावन गाथा, हमसब का आदर्श, हरि अनंत की कथा सनातन,जीवन का प्रतिदर्श । हिय कटुता की भेंट चढ़े मत,व्यर्थ सभी आलाप, राम सरिस आदर्श पुत्र को,शत-शत करूँ प्रणाम। राम-राम कह अलख जगा लें, बनते बिगडे़ काम। अनुपम शोभा दाशरथी की,कोमल कांति सु चित्त, कर्म भूमि हित सधी प्रत्यंचा,अनुपम जीवन वृत्त । राम-राम मुख आ न सके जो, नहीं कटे संताप, बढ़ते दुसह्य संताप कठिन, उनको दें विश्राम । राम-राम कह अलख जगा लें, बनते बिगडे़ काम। रचते हैं श्रीराम जहाँ पर, स्वयमेव अनुभाव, नारी का सम्मान लिए नित,बढ़ती जाए नाव। राम…