परम पुनीता हिन्दी अपनी
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#गीत
पुण्य पंथ परमार्थ सनातन,सदा सुसज्जित देश ।
हिन्दी ही मंथन चिंतन में, करिए सदा निवेश ।
व्यास पराशर अंगिरादि भृगु,शतानंद सत चित्र,
जहँ पुलस्त्य अगस्त्य सुचित हों,नारद विश्वामित्र ।
ऋषि जमदग्नि आशीष से है, पूर्ण शुद्ध परिवेश,
पुण्य पंथ परमार्थ सनातन,सदा सुसज्जित देश ।
हिन्दी का विस्तार जहाँ से,भरत भूमि है धन्य ।
परम पुनीता हिन्दी भाषा,मानक मिले न अन्य ।
पूरब से ये सोन चिरैया, लेकर उगे दिनेश,
पुण्य पंथ परमार्थ सनातन,सदा सुसज्जित देश ।
कर्म भूमि अपनी अवतारी, धर्म धरा सम व्योम,
मनु जीवन ये प्रभु की रचना,हर्षित करती लोम ।
सत्य शील गीर्वाण अधर से, देती है संदेश,
पुण्य पंथ परमार्थ सनातन,सदा सुसज्जित देश ।
सरसी सरसी सरस सरोवर,ताल भरें लय बंद,
प्रमुदित होकर सरयू तट भी,गाये मोहक छंद ।
कंचन अक्षर सुरभित वाची, सुंदरि साधे केश,
पुण्य पंथ परमार्थ सनातन,सदा सुसज्जित देश ।
अगरु धूम से महके तन-मन,पढ़कर मानस वेद ।
कर्म मनुजता जहाँ समायी,मिटे हृदय के खेद ।
स्वधा मंत्र औ अग्नि ज्वाल से,लेखन सधे खगेश ,
पुण्य पंथ परमार्थ सनातन,सदा सुसज्जित देश ।
—–डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी