छंद – माधव मालती
#गीत
भूल कोई हो न दाता, राह तुम मुझको दिखाना ।
स्वप्न देखें ये नयन जो,ध्यान रख उसको सजाना ।
संग रहती चाहतें जब –
डूब कर माँगे किनारा ।
शुष्क होते लोचनों में –
पीर करुणा का सहारा ।
क्यों करें अपना-पराया,तुम शरण अपनी बुलाना ।
स्वप्न देखें ये नयन जो,ध्यान रख उसको सजाना ।
हो न गर्वित मान पाकर,
साथ दे अपना न साया ।
कर रही है सत्य जग को,
मुग्ध तन करती #अनाया।
साधना के पथ न छूटे, मंत्र साधक तुम बनाना ।
स्वप्न देखें ये नयन जो,ध्यान रख उसको सजाना ।
बाड़ काँटों की लगाकर,
अंध स्वारथ हिय न भाये ।
कंठ तक मद में भरे क्यों,
गंग जाकर फिर नहाये ।
नित्य बढ़ती है ‘लता’ जब,नेह का हो आब दाना ।
स्वप्न देखें ये नयन जो,ध्यान रख उसको सजाना ।
—-डॉ.प्रेमलता त्रिपाठी
#अनाया भाग्यशाली, लोकप्रिय, बहुत बेहतर।