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“मेरा मन कुंदन कुसुमाकर”
मेरा मन कुंदन कुसुमाकर” August 2, 2023 #गीत कर देता मन को यों चंचल सागर से उठता कोलाहल ! करतीं गुहार लहरें आकर । मेरा मन कुंदन कुसुमाकर । अंग तरंगित मुखरित मेरे । तनिक निकट आओ तो टेरे । अधर चूम लो धड़के हृदतल । कर देता मन को यों चंचल ! ——- अस्ताचल सुखदा प्रियांशु को । करे नमन अभिनव सुधांशु को । पार्श्व आहटें उठती सुअंक से । खिलतीं बाँछे मिलने मयंक से । उलट-पलट भीगे तन अविरल । कर देता मन को यों चंचल ! ——- लुटा रहा निधि जलधि धीर जो । शचि आकर्षण तोड़ तीर जो । भर लेती निशि पोर-पोर है । आलिंगन…