“शृंग पार से आया न्यासी”
—#गीत
मेघदूत यायावर लेकर, खुशियों का संदेश।
शृंग पार से आया न्यासी,सुखद लगे परिवेश ।
श्वेत-श्याम में उलझे नैना,कजरी के शृंगार ।
चहुँदिक डोले बादल छौने,क्या मधुबन क्या थार ।
दूब दूब पर मोती मानिक,भरे धरा के गोद,
पाकर आँचल को हुलसाये, अम्बर से सित धार ।
उमड़ घुमड़ नभ से कजरारी, रही सँवारे केश ।
————-सुखद लगे परिवेश ————-
सावन-भादों की हरियाली,चंचल लगे अधीर ।
घन घोर घटा घननाद घने, चमके चपला तीर ।
तीज सावनी हर हर बम बम,शिव भक्तों के धाम,
पर्व सुखद हो रक्षाबंधन, कवच हमारे वीर ।
नभ से आतुर चंदा झाँके,चैन नहीं लवलेश ।
————-सुखद लगे परिवेश ————-
सरस हो उठी बोझिल अवनी,जन-जन में उल्लास ।
नभ से थल तक अनुपम रचकर,वैभव चातुर्मास ।
मधुर मधुर अम्लान साधना,हृदय भरे अनुराग,
नित आये प्रभु सुखद सबेरा, #लता करे अरदास ।
थिरक उठे पग मन मयूर के,विनय सुनों भुवनेश ।
————-सुखद लगे परिवेश ————-
-डॉ.प्रेमलता त्रिपाठी