‘साज कहे आवाज हमें दो’
#गीत
साज कहे आवाज हमें दो,चिंता उन्मन घिरती जाए ।
अनचाहे अभिनय में काया, पसोपेश में ढलती जाए ।
मौन करे जो अंतस पीड़ा,
साँझ सकारे बढ़ी उलझनें ।
करे गमन सोचे किस पथ पर,
चिंतन बनकर लगी उतरने ।
झंकृत कर दो तार हृदय के,औषधि सरिस उतरती जाए ।
साज कहे आवाज हमें दो, चिंता उन्मन घिरती जाए ।
चौखट पर जो खड़ी चुनौती,
शनैः शनैः है पार लगाना ।
भ्रमित करे नित नयी भूमिका,
धैर्य रखें हर फर्ज निभाना ।
सुर सरगम की विमल साधना,दुविधा मन की ढलतीजाए।
साज कहे आवाज हमें दो, चिंता उन्मन घिरती जाए ।
इक जीवन की रथ यात्रा में,
अनुदिन मिलते सत्य अनोखे ।
दूर दृष्टि विश्वास जगाकर,
तर्क – सहित रंगत दें चोखे ।
सुंदर कल-कल,हंस सुशोभित,सरित निरंतर बहती जाए।
साज कहे आवाज हमें दो, चिंता उन्मन घिरती जाए ।
‘लता’ प्रेम की मुरझाए यदि,
श्वासों के तोड़े अवरोधन ।
सूत्रधार तुम अलख जगा लो,
ध्वनित करे जो नित अंतर्मन ।
सत्य शिवं के गान करे मन,ललित-कलित ये बढ़ती जाए।
साज कहे आवाज हमें दो, चिंता उन्मन घिरती जाए ।
————–डॉ प्रेमलता त्रिपाठी—————