सिलसिला रखना
सिलसिला रखना
मुखर तुमसे रहूँ मैं मत गिला रखना ।
*अधर मुस्कान के यूँ सिलसिला रखना ।*
किया था दूर कब रक्खा सदा मन में।
भरी यादें तुम्हारा प्यार जीवन में ।
रहे यूँ पास मेरी धड़कनों में तुम,
तुम्हारी चाहतों के नीर नैनन मेंं
सदा बरखा बहारें जो कदम चूमें ।
मिले खुशियाँ हजारों यूँ खिला रखना ।
*अधर मुस्कान के यूँ सिलसिला रखना ।* ——-
लगाओ प्रेम का बिरवा महकता है।
खुशी आवेश में तन-मन उमड़ता है ।
वही राहें सुहाने दिन न बिसरेगें,
लिए चिठिया पहन खाकी निकलता है।
बजाती पाँव पायल दौड़ती चूम लेती जो,
हृदय के पास तुम ही हो मिला रखना ।
*अधर मुस्कान के यूँ सिलसिला रखना ।*
‘लता’ के गीत उनको गुनगुनाकर तुम।
उठे मन में विकारों को मिटाकर तुम ।
सुवासित हो नगर ये प्रीति से हमसे,
रहो नित दर्द के सावन सजाकर तुम ।
ठहर सकते गिले शिकवे न जन-जन में,
रहे लय-ताल में सरगम जिला रखना ।
*अधर मुस्कान के यूँ सिलसिला रखना ।*
आधार छंद सिन्धु
मापनी -1222 1222 1222
डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी