छंद अहीर (मात्रिक)
मात्रा 11 (दोहे का सम चरण )
समांत – आर ,अपदांत
गीतिका —-
नाव खड़ी मँझधार।
सुन ले खेवनहार ।
सुख दुख होंगें साथ,
जीवन में क्रमवार ।
मिटे पीर प्रभु आस,
कर दो बेड़ा पार ।
मिलन प्रीति संयोग,
विरह बढ़ाये ज्वार ।
माया हरे विवेक,
सहज प्रेम संसार ।
डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी