जीत घुटने टेक दे
विधा:-गीतिका
आधार छंद:-गीतिका(मापनीयुक्त मात्रिक)
विधान:-कुल 26 मात्राएँ 14,12 पर यति
मापनी:-2122 2122 2122 212
सामान्त:-आना पदांत:-चाहिए
मीत सच्चा मन मिले वह,पल सुहाना चाहिए,
शुद्ध अपनी धारणा हो, पथ बनाना चाहिए ।
प्राण घाती स्वार्थ तजिए,मिल सके खुशियाँ तभी,
एक दूजे से मिले वह, प्यार पाना चाहिए।
जीत घुटने टेक दे उस, पीर का भी अंत हो,
हार के बदले विवशता, को मिटाना चाहिए।
अंत कर दे जो तमस का,हो उजाला हर सुबह,
एक दीपक ज्ञान का हो, वह जलाना चाहिए ।
मीत जो बनते रुकावट, नासमझ हैं वे सदा,
हो रहे गुमराह उनको, राह दिखाना चाहिए ।
—————डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी