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“शुभ-शुभ बोलो माँ कहती”
बाल-गीत भोला बचपन समझ न पाया,शुभ-शुभ बोलो मांँ कहती । देख गगन से टूटा तारा, अनहोनी से जो डरती । बिजली चमके ज्यों घन गरजे, झम-झम ओले बरसे, गहन अंँधेरे से डर जाए, बंद करे खिड़की डर से । सन-सन चलती तेज हवाएं,शुभ-शुभ बोलो मांँ कहती । देख गगन से टूटा तारा,, अनहोनी से जो डरती । कभी न जाना सूनी राहें, किस्से दादी नानी से । घड़ी अशुभ की कभी न आए, अपनी ही नादानी से । चढ़े न हम पर काला जादू,शुभ-शुभ बोलो मांँ कहती । देख गगन से टूटा तारा, अनहोनी से जो डरती । काला धागा बाँध कलाई, सभी बलाएं जो हर ले। प्रेम भरा संसार…
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“सूने नयन तुम्हारे “
संवेदना हमारी………. बोझिल पलकें मेरी बहनों,सूने नयन तुम्हारे । शपथ लिया सिंदूरी हमने,सरहद हमें पुकारे । तुम से मांँग सिंदूरी प्रीतम, लेकर सातो फेरे । अनजाने पथ लगे सुहाने, स्वप्न लिए बहुतेरे । रची हाथ मेंहदी-न छूटी, नूपुर नयन निहारे । बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे । नहीं मानती धड़कन उलझे, राह निहारे किसकी । सब झूठे दिखते दर्पण में, आंँचल रोपे हिचकी । उन्हें देख अब तस्वीरों में, देखें नभ के तारे । बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे । दीन धरम सब भूल चुके जो, हया न जिनको आती । उठे हाथ कृत संकल्पों के, नहीं बचेंगे घाती । देखें चितवन से कजरारी,’लता’ सिसकती हारे…
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“राह निहारे किसकी”
संवेदना हमारी…….. बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे । शपथ लिया सिंदूरी हमने,सरहद हमें पुकारे । तुमसे मांँग सिंदूरी प्रीतम, लेकर सातो फेरे । अनजाने पथ लगे सुहाने, स्वप्न लिए बहुतेरे । रची हाथ मेंहदी न छूटी,नूपुर नयन निहारे । बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे । नहीं मानती धड़कन उलझे, राह निहारे किसकी । सब झूठे दिखते दर्पण में, आंँचल रोपे हिचकी । उन्हें देख अब तस्वीरों में,देखें नभ के तारे । बोझिल पलकें तेरी बहनों, सूने नयन हमारे । दीन धरम सब भूल चुके जो, हया न जिनको आती । उठे हाथ कृत संकल्पों के, नहीं बचेंगे घाती । देखें चितवन से कजरारी,’लता’ सिसकती हारे ।…
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“प्रेम पथिक की ठाँव”
निशा दिवस की दिव्य रश्मियाँ,ऋतुओं का श्रृंगार । रामनाम का पावन दर्शन । संग सजा संसार । हँसता गाता बचपन-यौवन, नित अपनों का साथ । नेक राह पर चलना सुंदर, संगति देते हाथ । तृषाजगत हित सदा लुभाए,भूख न हो व्यापार । रामनाम का पावन दर्शन, संग सजा संसार । सोच रही हूँ रातें कितनी, बीती सुबहो शाम । साधक तन-मन महकी बगिया, संचित जो निष्काम । छाया पेड़ खजूर न देता, अहं खड़ा लाचार । रामनाम का पावन दर्शन, संग सजा संसार । क्या खोया क्या पाया हमने, प्रेम पथिक की ठाँव । डूब रही कागज की नौका, सह न सकी जो दाँव । उम्र हो गई तकते साथी,…
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“होली” 2025………
“होली” 2025…… #गीत प्रकृति-वधूटी आयी अँगना,मंगल गीत सुनाए । लाज भरी निरखे कजरारी,हिय की तृषा बुझाए । नील गगन से बगरी आभा,सरल मिलन की बेला, सुखद आगमन मदन-कंत का,लगा मनोहर मेला । नगर-सगर में खुशियाँ छायीं,उपवन पुष्प सजाए, मदन बाण से हुए सुवासित, भ्रमर भ्रामरी गाए । प्रकृति-वधूटी आयी अँगना,मंगल गीत सुनाए । तरु-पत – झारे पुनः सँवारे,सजी धरा ज्यों दुल्हन, पहन चली नकबेसर तरुणी, ऋतुराजा से बन्धन । ठगे खड़े जो विकल बटोही, तन-मन को उरझाए, मोह रही है स्वांग रचाए,पथ को जो बिसराए । प्रकृति-वधूटी आयी अँगना,मंगल गीत सुनाए । नवल पाँखुरी डाली-डाली,फुनगी बाँधे मन को, तरुवर शाखा झूमें विहरे,लखे मयूरी तन को । केका से है कूक…
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“सुधियाँ लेकर आयी होली”
#गीत दृग भरमाये फागुन प्रीतम ,पीत हरित चहुँओर सखी री ! यौवन पर है सनई सरपत, रीझ गए मतिभोर सखी री ! अंग-अंग में अलख जगाए, फगुनी गोरी रूप बदलकर । उड़ते आँचल ले अँगड़ाई, अमवा बौरे लेकर पतझर । रंग भरे पुलके वासंती, शरमाये दृगकोर सखी री । यौवन पर है सनई सरपत,रीझ गए मतिभोर सखी री ! भ्रमर प्रभाती सुधा पिलाये । जाग उठे कोरक नलिनी के, नील गगन से आभा निखरी, लोल लहर लहरें तटिनी के । मीन मगन पर नैन भयातुर,भागीं देख अँजोर सखी री । यौवन पर है सनई सरपत, रीझ गए मतिभोर सखी री ! सुधियाँ लेकर आयी होली, रंग भरी कलसी ढलकाती ।…
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“धीर धरो कहता संयम”
बसंत पंचमी पर्व 2025 एवं मांँ शारदा को समर्पित #गीत मातु शारदा आओ रुनझुन गीत बसंत रचे सरगम। सरस बजाओ वीणा आकर,फाग उड़े फहरे परचम । अलिकुल वश में मदन बाण के, मधुरस कलश भरें कलियाँ । पीत वसन फहराती सरसों, वन कुंजन महके गलियांँ । शर-संधान लिए सनई के, आए हैं देखो प्रीतम । सरस बजाओ वीणा आकर,फाग उड़े फहरे परचम । नाद-ताल लय साज सधेंगे, वंदन के स्वर मधुमासी । अधर-अधर नव किसलय उमगे, अंखियांँ कातर हैं प्यासी । दीन करें मन आर्त्तनाद से,धीर धरो कहता संयम । सरस बजाओ वीणा आकर,फाग उड़े फहरे परचम । #लता पहन वासंती चूनर, अंग-अंग थिरके नच के । गीत लावणी सहज…
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भारत वंदेमातरम्
“पंजाब केसरी का वंदन” #गीत (मनके मन के) ———————– गूंज उठी जब वादियां,भोर सुहानी लाल । भारत वंदे मातरम्,’लाल’ ‘बाल’ औ ‘पाल’ ।। राष्ट्रधर्म हर श्वांस में, है अपनी पहचान । सुन ऐ वीरों की धरा,तू मेरा अभिमान ।। भरे खेत खलिहान से,उन्नत कृषि से गाँव । कहो गर्व से नाज से, लिए तिरंगा छांव ।। अडिग तेज विश्वास जो,बना हुआ था ढाल । भारत वंदे मातरम्,’लाल’ ‘बाल’ औ ‘पाल’ ।। उठी नजर प्रतिघात की,अपना हो संधान । बढ़े कदम जो शत्रु के, टूट गिरे नादान ।। बूँद ऋणी हर रक्त की,तुझ पर हो निष्काम । लहर तिरंगा मान तू, देश-राज्य प्रति ग्राम।। बुनते माया तंत्र जो, कटे विरोधी जाल…
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#चला कारवां
#गीत देख सुनहरी आभा पिय की,अनुपम ताना-बाना । सांझ सुरमई सुरम्य वादी, छेड़े नवल तराना । उदय-अस्त का सुन्दर सरगम, पथिक निराला झूमें । कंचन वर्णी क्षितिज साधना, धरा गगन को चूमें । बिखरी लाली अरुणिम अंचल,सुरभित सुखद सुहाना । सांझ सुरमई सुरम्य वादी, छेड़े नवल तराना । छलक उठी है लौह भस्म सी, उर्जित रवि की गागर । भुवन विजेता भगवा पहने, सत्य-शील सुख सागर। शंखनाद से गूंजे परिसर, तोरण फहरे नाना । सांझ सुरमई सुरम्य वादी, छेड़े नवल तराना । पुलकित खिलते कमल सरोवर, मन मराल मन-मोहित । दिव्य ज्योति प्राची से पश्चिम, रश्मि पुंज तन शोभित । चला कांरवा पंथ संगमित,दूर देश है जाना । सांझ सुरमई…
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श्रीराम-स्तुति
श्रीराम-स्तुति …….. कर जोड़े सब करें वंदना,प्रिय आओ रघुवर प्यारे। नहीं धुरंधर आज जगत में,जो तुमबिन संबल वारे। तृषा विश्व की कौन बुझाए,दुख दारुण देकर दूने, मन की गागर कौन भरेगा,कोर हुए जब-जब सूने । अवध पुरी को जगमग कर दो,तमसावृत अँधियारे कर जोड़े सब करें वंदना,प्रिय आओ रघुवर प्यारे । कृष्ण-केश से शृंग सुहाए,है दिशाहीन क्यों बदरी, सुखद रश्मि से कंत भानु की,पुनि रिमझिम भीगे सदरी। प्राण कृषक के जनजीवन के,नयना सींचे कजरारे, कर जोड़े सब करें वंदना,प्रिय आओ रघुवर प्यारे । अपनेपन की पाती लेकर,प्रिय पवनपुत्र का आना, भेद न कोई मन में उनके,शुचि मंत्र-पूत पथ नाना । चक्रवात से घिरा चतुर्दिक, जैसे घूमें बंजारे, कर जोड़े सब…