मेह सावन
छंद – लौकिक अनाम ( मात्रिक छन्द )
मापनी युक्त २१२२ १२१२ २
गीतिका—-
मेह सावन तुम्हें रिझाना है ।
मीत मनको सरस बनाना है ।
बूँद रिमझिम तपन मिटाती हो,
सुन तराने तुम्हें सुनाना है ।
भीग जाना मुझे फुहारों में,
आज तुमको गले लगाना है ।
राह कंटक भरी सताती जो,
फूल बनकर उसे सजाना है ।
झूम सावन सरस सुहावन हो,
गीत सरगम सुधा लुटाना है ।
प्रेम मिलता रहे तुम्हारा घन,
पर कहर से तुम्हें बचाना है ।
डॉ.प्रेमलता त्रिपाठी