“विश्व हिन्दी दिवस”
#गीत
आगत का है स्वागत करना,संस्कृति का आधार लिए।
मंत्र सिद्ध अनुशासित जीवन, नेकी सद आचार लिए।
घटती-बढ़ती नित्य पिपासा,
पथ की बाधा बने नहीं ।
अधरों की चाहत रखने में,
हाथ झूठ से सने नहीं ।
सत्यमेव जयते हो प्रतिपल,नैतिकता का सार लिए ।
आगत का है स्वागत करना,संस्कृति का आधार लिए।
भूले बिसरे गीत सुनाती,
प्यार भरी जग की बातें ।
हँसते-रोते हमने खोया,
अनगिन सांसें दिन रातें ।
अवशेष सजाना होगा हमको,स्नेह जगत व्यवहार लिए।
आगत का है स्वागत करना,संस्कृति का आधार लिए।
पूरब की लाली से सुंदर,
वर्ष ईसवी सदी गयी ।
नूतन अनगढ़ भाव व्यंजना,
सुबह हमारी सांझ नयी ।
“लता” पुनः नव पत्र संँवारे, हरित प्रभा शृंगार लिए ।
आगत का है स्वागत करना,संस्कृति का आधार लिए।
—————————डॉ.प्रेमलता त्रिपाठी