साक्षी है इतिहास
“गांधी व शास्त्री जयंती पर समर्पित
————–
विकट साधना संकल्पों में, सदा रहे अनुरक्त ।
सत्य-अहिंसा जीवन सरगम,सरस दिवा हो नक्त ।
उन्नति करती राष्ट्र चेतना,शिक्षित रहे समाज।
ऊँच-नीच हो भेदभाव के,बने न कोई व्याज।
राग-द्वेष के अगनित कारक,जहाँ करें अभिशप्त,
सत्य-अहिंसा जीवन सरगम,सरस दिवा हो नक्त ।
*******
राष्ट्र हितों में जीवन अर्पित, जीवट तन उद्दाम ।
नगर गाँव तक हथकरघों से,सबको दिया मुकाम ।
एक वस्त्र शुचिता की माला, पुष्टि भाव संपृक्त ।
सत्य-अहिंसा जीवन सरगम,सरस दिवा हो नक्त ।
********
कुछ कारक संकेत मानिए, दुर्बल करते मान ।
साक्षी है इतिहास सदा जो,छला गया अनजान।
जप-तप की जहँ महके समिधा,भारत हुआ विभक्त ।
सत्य-अहिंसा जीवन सरगम,सरस दिवा हो नक्त ।
*********************डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी