अधिकार तुम्हारी बातों में
आधार छंद-मंगलमाया(मापनी युक्त मात्रिक)
विधान-कुल-22मात्राएँ,11-11पर यति
समांत-आर, पदांत-तुम्हारी बातों में
गीतिका
नहीं; नहीं स्वीकार,तुम्हारी बातों में ।
मान नहीं मनुहार, तुम्हारी बातों में ।
निश्छल बरसे मेह,लगी सहज मुझे तुम,
ऐसी सरल फुहार,तुम्हारी बातों में ।
लगो शीत की धूप,खिलाती जो तन-मन ,
मधुरस प्रीति दुलार, तुम्हारी बातों में ।
समझे मन की पीर,सुहाती अपनों सी,
महक उठे मन द्वार, तुम्हारी बातों में ।
साहस भर दे ज्ञान,व्यथा दूर करे जो,
राहें सत्य शुमार, तुम्हारी बातों में ।
नयनों से बह प्रेम,भिगाये आँचल को,
माँ सम अद्भुद प्यार,तुम्हारी बातों में ।
—————–डॉ.प्रेमलता त्रिपाठी
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