-
“सुधियाँ लेकर आयी होली”
#गीत दृग भरमाये फागुन प्रीतम ,पीत हरित चहुँओर सखी री ! यौवन पर है सनई सरपत, रीझ गए मतिभोर सखी री ! अंग-अंग में अलख जगाए, फगुनी गोरी रूप बदलकर । उड़ते आँचल ले अँगड़ाई, अमवा बौरे लेकर पतझर । रंग भरे पुलके वासंती, शरमाये दृगकोर सखी री । यौवन पर है सनई सरपत,रीझ गए मतिभोर सखी री ! भ्रमर प्रभाती सुधा पिलाये । जाग उठे कोरक नलिनी के, नील गगन से आभा निखरी, लोल लहर लहरें तटिनी के । मीन मगन पर नैन भयातुर,भागीं देख अँजोर सखी री । यौवन पर है सनई सरपत, रीझ गए मतिभोर सखी री ! सुधियाँ लेकर आयी होली, रंग भरी कलसी ढलकाती ।…
-
अर्चना में खिली पाँखुरी-पाँखुरी ।
#गीत कोर भीगे नयन भर रही आँजुरी……… राधिका सुन रही श्याम की बाँसुरी। अर्चना में खिली पाँखुरी-पाँखुरी । गाँव गोकुल गली गागरी भूलकर, साधिका वन फिरे पथ बिछे शूलपर। श्याम रंग में रँगी चूनरी श्यामला, प्रीत रुनझुन बजे बावरी-माधुरी । राधिका सुन रही श्याम की बाँसुरी ——- अर्चना में खिली पाँखुरी-पाँखुरी । पीर मन की भुला दो सखे श्याम जी, पा सकूँ मान धन प्रेम श्री धाम जी। साथ तेरा मिले बंदगी ये रहे, कोर भीगे नयन भर रही आँजुरी । राधिका सुन रही श्याम की बाँसुरी ——— अर्चना में खिली पाँखुरी-पाँखुरी । मान ले तू अगर प्रेम मीरा बनूँ,। जग हँसेगा हँसे मीत धीरा बनूँ। चैन मन की हरे…