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“किलकारी से गूँजे उपवन”
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ…. #गीत खिले मनुजता सजे वाटिका,अगणित हैं उपनाम। बाल रूप ज्यों लिए कन्हाई, आए छवि के धाम । मातु गर्भ से पाकर अभिनव, करिए जीवन सार । शोभा शाली संसृतिअपनी, जग की पालन हार । हर बाला हो दिव्य अंगना,हर बालक हो राम । बाल रूप ज्यों लिए कन्हाई,आए छवि के धाम । पंचतत्व से निर्मित काया, मिल जाए फिर रेह । सूर्य चंद्र से अंध कटे ज्यों, साँझ ढले नित स्नेह । किलकारी से गूँजे उपवन,सुंदर हो विश्राम । बाल रूप ज्यों लिए कन्हाई,आए छवि के धाम । आँजे कोमल #लता प्रेम की, करिए वह अनुबंध । नियति प्रेम की सत्य सर्जना, प्रेम लिए सौगंध…
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चमके भानु प्रताप……
#गीत (आधार छंद सरसी) प्रात सजाए पूजा थाली,धूप दीप से जाप । अक्षत दुर्वा कुंकुम माथे,चमके भानु प्रताप। सरजू तट के रहवासी जो,अवध पुरी के नाम । राम बसे प्रति हृदय जहाँ पर,वृहद साधना धाम । मर्यादा पाथेय मिला जो, भाव भरे निष्काम । करतल करते बरगद पीपल,हरते मन संताप, अक्षत दुर्वा कुंकुम माथे,चमके भानु प्रताप। —————- रूप कंचनी आभा फैले, प्राची का शृंगार । सार जगत में प्रेम यहाँ पर,भर दे मन उद्गार । साँझ सुहानी लगती प्यारी,प्रिया खड़ी ज्यों द्वार। अधरों पर नित भाव व्यंजना,लगे सुखद आलाप, अक्षत दुर्वा कुंकुम माथे,चमके भानु प्रताप। ——————– मन वाणी सत्कर्म नीतियाँ,मिलती जहाँ सुयोग। वचनबद्धता रही यथावत ,युग-युग गायें लोग । मान…