“मावस भरे अँजोर”
#गीत?
भाव भरे करसंपुट दीपक, दीप्त करे चहुँओर ।
रिद्धि सिद्धि से सोहे अँजुरी,मावस भरे अँजोर ।
थाल सजाकर फूल नारियल,
सुरभित कर परिवेश।
पूजा करती अँगना अँगना,
लक्ष्मी सह प्रथमेश ।
हाथ जोड़ सब शीष नवाते,ज्योति जले प्रतिछोर ।
रिद्धि सिद्धि से सोहे अँजुरी,मावस भरे अँजोर ।
दान भोग औ नाश यही हो,
सत्य सही संकल्प ।
सार्थक हो निज धर्म-कर्म से,
क्षुधित न कोई अल्प।
राम राज की पुनः कल्पना, लाए प्रतिपल भोर ।
रिद्धि सिद्धि से सोहे अँजुरी,मावस भरे अँजोर ।
लता प्रेम की शाख-शाख पर,
बढ़ती जाये मीत।
वर्ष वर्ष पर दीप दिवाली,
झिलमिल गाये गीत ।
लड़ियों औ फुलझड़ियों से चहुँ,धूम मचे प्रिय शोर ।
रिद्धि सिद्धि से सोहे अँजुरी, मावस भरे अँजोर ।
++++डॉ.प्रेमलता त्रिपाठी
अँजुली /करसंपुट
[सं-स्त्री.] दोनों हथेलियों को ऊपर की ओर जोड़ने से बनने वाला गड्ढा जिसमें पानी या कोई वस्तु भरकर दी जाती है; करसंपुट; चुल्लू; ओक; अंजुरी; अंजलि।