मौन रहेंगे
आधार छंद – रोला
मात्रा विधान – 11+13= 24
समान्त-एंगे,पदान्त-मौन रहेंगे
गीतिका
पानी पानी मान,बहेंगे मौन रहेंगे ।
छलके अधजल ज्ञान,सुनेंगे मौन रहेंगे ।
नयन निहारे शून्य,तकेंगे मौन रहेंगे ।
पथराये ये नैन, गलेंगे मौन रहेंगे ।
—————————–
विछुड़े जीवन साज,नींदिया बैरन छलती,
पनघट सूना श्याम, मिलेंगे मौन रहेंगे ।
बढ़ा नहीं जो चीर,अस्मिता कौन बचाता,
सुने न कोई मर्म, छलेंगे मौन रहेंगे ।
चूनर देते दाग, गिद्ध कुरंग कुविचारी ,
घूम रहा हैवान, हँसेंगे मौन रहेंगे ।
करें वार पर वार,लूटते अस्मत,घाती,
झूठ खेलता दाँव,सहेंगे मौन रहेंगे ।
सत्य करे विश्राम,प्रेम दु:खी मन हारा।
डग-मग होते पाँव, गिरेंगे मौन रहेंगे ।
डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी