अवसाद मिटना चाहिए
गीतिका —-
हो कहीं अवसाद मिटना चाहिए ।
दर्द का अहसास रहना चाहिए ।
हौसले मिलते रहें हमको सदा,
स्वप्न का विस्तार करना चाहिए ।
देखना हमको जमाने की खुशी,
त्याग अर्पण से गुजरना चाहिए।
नैन कोरों से बहे करुणा दया,
आह सुन मन को पिघलना चाहिए ।
जीत हो या हार की चिंता नहीं,
कर्म बाधा से न डिगना चाहिए।
भीरु कातर हो न रहना है हमें,
जोश तन अंगार पलना चाहिए ।
प्रेम इस नश्वर जगत में सार जो,
वह समय है जो सँवरना चाहिए।
डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी
छंद- आनंदवर्धक
मापनी – 2122 2122 212
समांत – आना<>पदांत चाहिए