सजा मंच तैयारी है!!
समस्त विधा में एक रचना
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छंद : मानव ( सम मात्रिक )
विधान शिल्प : 14 मात्रा / चौपाई में दो मात्रा कम
गीतिका ——
सजा मंच तैयारी है ।
देखें किसकी बारी है।
खुद से खेलें घाती जो,
सोच नहीं हितकारी है ।
मंदिर मस्जिद छाने जो,
दुविधा मन में भारी है ।
मृत आत्मा भटक रहे जो,
छिपी नहीं गद्दारी है ।
देख रहा स्वयं नियंता,
लेकर न्याय कटारी है ।
लगा हुआ हित चिंतन में,
संत मना अविकारी है ।
डॉ.प्रेमलता त्रिपाठी