हिंद हिंदी हिंदुस्तान
हिंदी दिवस पर —– समर्पित गीतिका
छंद- सार
समांत- अते , पदांत- जायें
देश निराला अपना तन मन, अर्पण करते जायें ।
द्वेष नीति जो मढ़ते आकर,स्नेहिल बनते जायें ।
हिंद देश की भाषा हिन्दी,जननी प्रिय जन मन की,
मधुर मधुर कान्हा की बंसी,रूठे मनते जायें ।
शिखर चमकता दिनमान यथा,जागे यह मनभावन ,
शब्द तरंगित हिंदी महके,राही गुनते जायें।
शाम सुरमई झिल-मिल तारे,नींद पाँखुरी लेती,
छिटक चंद्रिका दुलराये जब, सपनें बुनते जायें ।
राम कृष्ण की पुण्य भूमि यह,सुंदर अपना मधुबन,
यह गौरव इतिहास हमारे, सदा महकते जायें।
कटुता कर क्यों क्षार बनायें,हृदय शूल को बोकर,
हिंदी हृदय विश्वास प्रेम है’,तन-मन सजते जायें ।
डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी