“फटी न जिसके पाँव बिवाई”
आधार छन्द- रास
विधान – कुल २२ मात्रा, ८,८, ६ पर यति
अन्त लघु गुरु से अनिवार्य।
रास = चौपाई का एक पद + ६ मात्राएं
गीतिका —-
फटी न जिसके पाँव बिवाई,नहीं चला।
दर्द बिना वह क्या जाने पर,पीर भला ।
छद्म वेश में बीच हमारे, पलते जो,
अपना माना जिसको उसने,खूब छला ।
झूठी चाहत करें दिखावा,अपनापन,
थोपा रिश्ता छाती पर ज्यों,मूँग दला ।
अवसर वादी घात लगाते, यहाँ – वहाँ,
हित-अनहित कठिनाई का कब,दौर टला
कली गली महकाने आयी, बासंती,
मधुरस भोगी भौरा मचले,देख कला ।
सत्य साधना प्रेम समर्पण,रहे सदा,
दृढ़ निश्चय औ साहस ने कब,हाथ मला
———- डॉ.प्रेमलता त्रिपाठी