पुलवामा शहीदों को समर्पित
छंद सार–
मात्रा =28 =16,12 पर यति
समांत – अते, पदांत – हैं
गीतिका —–
(पुलवामा शहीदों को समर्पित)
अब जलती रहें मशालें हम,कदम मिला चलते हैं ।
उठे हृदय अंगारे; अरि पर, शोला बन गिरतें हैं ।
सत्ता लोलुपता यदि अपनी,हैं व्यर्थ उलझतें हम,
बिना एकता कोई बाजी, जीत नहीं सकते हैं ।
लड़ें परिंदे आपस में ही,पंख बिखेरें अपने,
खड़ा शिकारी प्राण हरे क्यों,हार स्वयं लिखते हैं ।
खोये सपूत लौटा न सकें,दुख में डूबे परिजन,
विवश हृदय आहत अपने,आँसू ही झरतें हैं ।
परचम लहराकर साहस का,हुए देश हित अर्पण,
सीमा पर रक्षक यूँ अपने, मौत लिए फिरतें हैं ।
बीते पल की अनुगूँजें यूँ,मन में सदा रहेंगी,
नमन हमारा तुम्हें शहीदों,श्रद्धा मन भरते हैं।
कृतकृत्य रहेगी धरती यह,अहो धन्य बलिदानी,
ये प्राची के सूर्य सदा बन,अखिल दिवस उगतें हैं ।
देश प्रेम हिय-त्याग धर्म से,मन कानन है महके,
सोंधी माटी प्रीत जगाती, सहज भाव उठते हैं ।
डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी