कुछ सोचिए
छंद- पियूष पर्व
मापनी- 2122 2122 212
विधान- 10, 9 पर यति आवश्यक एवं अंत गुरु से.
पदांत- सोचिए, समांत- अन
है विकल यह राष्ट्र जीवन सोचिए ।
दृढ़ करें मनआत्म मंथन सोचिए।
हैं सभी गांडीव धारी सुप्त क्यों
सारथी हे नंद नंदन सोचिए ।
धर्म युद्धों का नहीं आधार जब,
अब नहीं रवि अस्त बंधन सोचिए।
नीतियाँ वह व्यर्थ जो तन मन दहे
जल रहा क्यों आज उपवनसोचिए ।
स्वार्थ को निज त्यागना होगा हमें,
है मिटाने द्रोह क्रंदन सोचिए ।
डॉ. प्रेमलता त्रिपाठी