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“राम-राम कह अलख जगा लें”
#गीत
भाल लगाए रोली चंदन, दर्शन कर श्री धाम।
राम-राम कह अलख जगा लें,बनते बिगडे़ काम।
राम चरित की पावन गाथा, हमसब का आदर्श,
हरि अनंत की कथा सनातन,जीवन का प्रतिदर्श ।
हिय कटुता की भेंटचढ़ा मत,व्यर्थ सभी आलाप,
राम सरिस आदर्श पुत्र को,शत-शत करूँ प्रणाम।
राम-राम कह अलख जगा लें, बनते बिगडे़ काम।
अनुपम शोभा दाशरथी की,कोमल कांति सु चित्त,
कर्म भूमि हित सधी प्रत्यंचा,अनुपम जीवन वृत्त ।
राम-राम मुख आ न सके जो, नहीं कटे संताप,
बढ़ते दुसह्य संताप कठिन, उनको दें विश्राम ।
राम-राम कह अलख जगा लें, बनते बिगडे़ काम।
रचते हैं श्रीराम जहाँ पर, स्वयमेव अनुभाव,
नारी का सम्मान लिए नित,बढ़ती जाए नाव।
राम रमैया गाए जा मन, सार्थक होगा जाप,
उपमानों के ढेर लगा जो,नहीं चले सियवाम ।
राम-राम कह अलख जगा लें,बनते बिगडे़ काम।
————————डॉ प्रेमलता त्रिपाठी